किसे पता था
किसे पता था
किसे पता था अंतर का मौन कुछ यूँ मुखर हो जाएगा।
गुमनामी के अंधेरों से निकल जीवन की ओर बढ़ जाएगा।
पाल रखे थे उसने भी कुछ छोटे तो कुछ बड़े से सपने।
सोचा करते हरदम क्या कभी भी ये पूरा भी हो पायेगा।
बेड़ियां बड़ी हो गईं सपनों से बंध गईं आकर पैरों में।
मन की मन में रही अब तो उस तरफ जाना न हो पायेगा।
पीछे रह गए छोटे सपने सामने दिखने लगीं जिम्मेदारियां।
सबकी सुनने में क्या कभी खुद का सुनना भी हो पायेगा।
जीवन चलने लगा एक टेढ़ी-मेढ़ी लकीर पर गिरते उठते।
किसे पता था कि कहीं एक जुगनू चमकता दिख जाएगा।
भूल चुके थे खुद को खुद के बारे में कुछ मालूम नहीं था।
निराश ,बोझिल जीवन आखिर कितना अधिक सताएगा।
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समय ने बदला करवट अचानक एक बड़ा तूफान आया।
दुखों की चादर ओढ़े सब परेशान हुए ऐसा उफान आया।
एक बीमारी ने कर दिया आहत पूरे संसार के प्राणियों को।
डरे सहमे सभी लोग अपनों को खो दिया हाहाकार आया।
सहारा बने जाने अनजाने लोग दिखी दया,ममता,मानवता।
कुछ लोग स्वार्थलिप्त तो कुछ के अंदर अथाह सज्जनता।
किसे पता था कि भागता जीवन यूँ इस तरह ठहर जाएगा।
हरदम चलने वाला प्राणी घर बैठने को विवश हो जायेगा।
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छटपटाते हुए लोग दुख में जीवन की किरण ढूंढ रहे थे।
घर में बैठे -बैठे मन बहलाने के कुछ साधन खोज रहे थे।
किसे पता था कि सखी से लेेखनी का पता मिल जाएगा।
अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करने का माध्यम मिल जायेगा।
शब्द नहीं मन के कोष में भाव भी थे कुछ रीते- रीते से।
छंदों का ज्ञान नहीं कुछ छंदमुक्त भाव आते जाते बिखरते से।
किसे पता था टूटा-फूटा लिखकर ही यूँ भाव निखर जॉएगा।
भावों को व्यक्त करने का यूँ पागलपन का नशा चढ़ जाएगा।
अनजान लोगों से के साथ प्यारा सा रिश्ता जुड़ जाएगा।
कोई सखी कोई बहन कोई छोटा-बड़ा भाई बन जाएगा।
सोचा न था कभी कि एक दिन ऐसा भी आ जाएगा।
एकांकी मन किसी कवि सम्मेलन का हिस्सा बन पाएगा।
काव्य की कुछ विधाएं हलचल मचाने लगी मस्तिष्क में।
कुछ सीखने की ललक जागने लग गई इस अधूरे मन में।
किसे पता था कि थोड़ा बहुत ज्ञान कभी काम आ पायेगा।
खाली समय बिताने का सबसे नायाब जरिया बन जाएगा।
गमों को कुछ पल के लिए ही सही विराम दिया जाएगा।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
नई दिल्ली
प्रतियोगिता के लिए
Seema Priyadarshini sahay
16-Dec-2021 09:23 PM
बहुत खूबसूरत
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Swati chourasia
16-Dec-2021 07:20 AM
Very beautiful 👌
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Zakirhusain Abbas Chougule
16-Dec-2021 12:15 AM
Nice
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